नई दिल्ली 27 मार्च : कोरोनावायरस भारत की आर्थिक वृद्धि को “गंभीर रूप से” प्रभावित करेगा, क्योंकि कोरोनोवायरस लॉकडाउन कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा कर रहा है, जिसमें विनिर्माण, तेल, वित्तीय सहित अन्य शामिल हैं।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के हाल ही में किये गए अर्थव्यवस्था के पूर्वानुमान के अनुसार, मंदी की स्थिति में आने वाले देशों और दिवालिया होने वाली कंपनियों की संभावना बढ़ गई है और भारत के भी वैश्विक मंदी से “अछूता ” रहने की संभावना नहीं है।
भारत की आर्थिक वृद्धि 21 दिनों के लॉकडाउन को देखते हुए, भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि वित्त वर्ष 20 के लिए हमारे 5 प्रतिशत के पहले के अनुमान से कम रहने की उम्मीद है। और वित्त वर्ष 2021 के लिए विकास दर अत्यधिक अनिश्चित रह सकती है ।
उम्मीद है कि फरवरी 2020 के दौरान इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) 4-4.5 प्रतिशत तक रहेगा। जो कि आर्थिक वृद्धि का सटीक मात्रात्मक आकलन अलग-अलग होगा और संशोधित होने की उच्च संभावना है क्योंकि कोरोना के इकॉनमी पर प्रकोप की गंभीरता और प्रसार अनिश्चित है।
महंगाई के मोर्चे पर देखें तो , मांग और उत्पादन गतिविधियों में कमी , कच्चे तेल की वैश्विक कीमत में तेज गिरावट, और अन्य प्रमुख वस्तुओं जैसे ऊर्जा, धातुओं और उर्वरकों में कीमत घट जाती है तो मुद्रास्फीति पर नीचे से दबाव बढ़ने की उम्मीद है।
एक उम्मीद के मुताबिक मार्च 2020 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 6.5-6.7 प्रतिशत और WPI मुद्रास्फीति 2.35-2.5 प्रतिशत की सीमा में रह सकती है।
वहीं 1-19 मार्च के दौरान भारत के आयात बास्केट में 16 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो मुख्य रूप से कच्चे तेल की कीमतों में कमी और अर्ध कीमती पत्थरों, सोने में तेज गिरावट के कारण हुयी है । इसी अवधि में निर्यात 8.2 प्रतिशत घटकर 16.3 अरब डॉलर रह गया।
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